Thursday, 10 May 2018

मंदिर में परिक्रमा क्यों लगाई जाती है

मंदिर में परिक्रमा लगाने के पीछे क्या कारण है
किसी भी मंदिर में प्रभु मूर्ति के चारो तरफ परिक्रमा लगाई जाती है जाने इसके पीछे के कारण | मंदिर नित्य पूजा स्थली होने के कारण सकारात्मक और आध्यात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है | जब हम मंदिर के चारो तरफ परिक्रमा लगाते है तो हम्हे वही सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है | इसी के साथ साथ जिस देवी देवता के चारो ओर चक्कर लगाया जा रहा है उनकी हमपे विशेष कृपा रहती है | परिक्रमा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति और मानसिक और आर्थिक बढ़ोतरी होती है

आप हमेशा ध्यान देते होंगे की मंदिर में शांति की प्राप्ति होती है और यह इसी सकारात्मक ऊर्जा के कारण ही है

कैसे करे परिक्रमा और परिक्रमा लगाते समय क्या बाते रखे ध्यान
परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए

  1. परिक्रमा करते समय मन चंचल ना होकर अपने आराध्य प्रभु की प्रशंसा में लगा होना चाहिए
  2. परिक्रमा करते समय बाते नही करनी चाहिए और मंत्र जाप या जयकारा करे
  3. हनुमानजी जी की तीन परिक्रमा और बाकि देवी देवताओ की एक परिक्रमा करनी चाहिए
  4. शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले योनी भाग जहा से जल बाहर निकलता है तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौट कर परिक्रमा शुरू करने की जगह पहुंचा जाता है | इसे ही आधी परिक्रमा कहते है
  5. पीपल के पेड़ की 7 परिक्रमा लगानी चाहिए
  6. नारायण के 4 परिक्रमा लगाने की बात कही गयी है
  7. सोमवती अमावस्या को मंदिरों में 108 परिक्रमा लगानी चाहिए
  8. जिन देवताओ के चारो तरफ की परिक्रमा की संख्या का हम्हे ज्ञान नही है उनके चारो तरफ आप तीन परिक्रमा लगा सकते है
  9. शनिदेव और सूर्य की आप 7 परिक्रमा लगा सकते है

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