जिस तरह नंदी की नजऱ भगवान शंकर की तरफ होती हैं उसी तरह हमारी भी नजर आत्मा की ओर होनी चाहिए
भोलेनाथ के दर्शन को जब भी हम जाते हैं तो हमारा सारा ध्यान शिवलिंग पर ही होता है और उसके बाद मंदिर की कलाकृति और बाद में बाकी अन्य चीज़ों के प्रति हमारी नज़र जाती है। मंदिर में हम सयभी ने नंदी गाय को तो देखा ही है और शिवलिंग तक पहु़चने से पहले हम नंदी के समक्ष भी अपने शीष झुकाते हैं और उन्हें नमन करते हैं?
लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया हैं कि भगवान भोलेनाथ के मंदिर में उनके सामने ही हमेशा नंदी को क्यों बैठाया जाता है और उनका मुंह हमेशा शिवलिंग की ओर ही क्यों होता है? तो चलिए आज हम इस बारें में आपको बताते हैं। भगवान शंकरजी के मंदिर में उनके सामने उनकी सवारी नंदी गाय की प्रतिमा को इसलिए स्थापित किया जाता हैं क्योंकि शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ यानी कि मेहनत और लगन का प्रतीक माना जाता है। इस बात की मान्यता है कि जिस तरह नंदी, भगवान शिव का वाहन है, ठीक वैसे ही हमारा शरीर हमारे आत्मा का वाहन है। जिस तरह नंदी की नजऱ भगवान शंकर की तरफ होती हैं उसी तरह हमारी भी नजर आत्मा की ओर होनी चाहिए। यानि कि प्रत्येक मनुष्य को अपने दोषों के प्रति नज़र रखना चाहिए और इसके साथ ही हमेशा दूसरों के प्रति अच्छी भावना अपने मन में रखना चाहिए।भगवान शंकर की सवारी नंदी का इशारा भी यही होता है कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही हर एक व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पूर्णरूप से पवित्र हो सकता है
अर्थात इस बात का यहीं मतलब है कि हर इंसान को अपने मानसिक, व्यावहारिक और वाणी के गुण-दोषों की परख हमेशा करते रहना चाहिए और इसके साथ अपने मन में सर्वथा मंगल और कल्याण करने वाले देवता शिव की भांति दूसरों के हित, परोपकार और भलाई का भाव अपने चित्त में रखना चाहिए। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए ही नंदी हमेशा भोलेनाथ की ओर मुंह करके बैठते हैं
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