KrishnaRadha
Monday, 17 September 2018
Wednesday, 5 September 2018
Chhinnamasta Temple Story :- माँ छिन्नमस्तिका के अवतरण की कथा
Thursday, 12 July 2018
स्वर्ग से धरती पर गिरा था श्रीकृष्ण का रहस्यमयी पत्थर, जानें क्या है राज?
इसी में से एक राज है भगवान श्रीकृष्णा का रहस्यमयी पत्थर। चेन्नई में स्थित इस विशालकाय पत्थर को हटाने के लिए एक अंग्रेज गर्वनर पसीना आ गया था। 1908 में मद्रास के गर्वनर आर्थर ने इसे हटाने के लिए सात हाथियों को काम पर लगा दिया था। लेकिन पत्थर टस से मस नहीं हुआ। आइए जानते हैं, इस रहस्यमयी पत्थर के बारे में...
चिंतामण गणेश मंदिर
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान गणेश का प्राचीनतम मंदिर स्थित है। इसे चिंतामण गणेश के नाम से जाना जाता है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही हमें गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। यहां पार्वतीनंदन तीन रूपों में विराजमान हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक।
ऐसी मान्यता है कि चिंतामण गणेश चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं, जबकि इच्छामन अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते हैं। गणेश का सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करता है। इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं। गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले जैसे ही आप ऊपर नजर उठाएंगे तो चिंतामण गणेश का एक श्लोक भी लिखा हुआ दिखाई देता है…
Tuesday, 10 July 2018
मतंगेश्वर मंदिर :- Matangeshvara Temple, Khajuraho
"जानिए छतरपुर के मातंगेश्वर मंदिर के बारे में जहाँ नाग मणि पर विराजमान शिवलिंग, दर्शन से पूरी होती है मनोकामनाएं।"
वैसे तो भारत में कई किस्से और दन्त कथाएं प्रचलित हैं पर ज्यादातर कथाएं प्राचीन कहावतों या मतों पर आधारित हैं, ऐसे ही जब बात खजुराहो की होती है तो यहां के मंदिरों को लेकर सैकड़ों मत हैं। खजुराहो में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर जो सबसे प्राचीन है और जिसकी प्रसिध्दि दूर देशों तक है इस मंदिर को लेकर भी एक लोक कथा प्रचलित है।
Friday, 6 July 2018
कैसे शुरू हुई शिवलिंग पर दूध चढाने के परम्परा
हिन्दू धर्म में शिवजी पर दूध चढ़ाना अति शुभ माना जाता है पर क्या आप जानते है की क्यों शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है | इसके पीछे क्या कारण है
समुन्द्र मंथन के साथ जुडी पौराणिक कथा है | जब समुन्द्र मंथन हुआ तो उसमे हलाहल विष निकला जो की तीनो लोको को नष्ट कर सकता था | तब उस विष को शिवजी ने ग्रहण करके सबकी जान बचाई थी | पर हलाहल विष पीने के बाद वे तड़पने लगे | तब किसी ऋषि ने उन्हें दूध के साथ बिलपत्र खिलाने की बात बताई | देवी देवताओ ने ऐसा ही किया और शिव को इस उपाय से बहुत आराम प्राप्त हुआ | तब से शिवजी को दूध बिलपत्र चढाने की परम्परा शुरू हो गयी
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