जिस तरह नंदी की नजऱ भगवान शंकर की तरफ होती हैं उसी तरह हमारी भी नजर आत्मा की ओर होनी चाहिए
भोलेनाथ के दर्शन को जब भी हम जाते हैं तो हमारा सारा ध्यान शिवलिंग पर ही होता है और उसके बाद मंदिर की कलाकृति और बाद में बाकी अन्य चीज़ों के प्रति हमारी नज़र जाती है। मंदिर में हम सयभी ने नंदी गाय को तो देखा ही है और शिवलिंग तक पहु़चने से पहले हम नंदी के समक्ष भी अपने शीष झुकाते हैं और उन्हें नमन करते हैं?