वृंदावन। भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी (जन्माष्टमी) पर भगवान श्रीकृष्ण रात बारह बजे जन्म लेते हैं। मगर, वृंदावन में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां कन्हैया का जन्म दिन में होता है।
वृंदावन। भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी (जन्माष्टमी) पर भगवान श्रीकृष्ण रात बारह बजे जन्म लेते हैं। मगर, वृंदावन में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां कन्हैया का जन्म दिन में होता है। यह परंपरा लगभग 400 साल पुरानी है। इसके साक्षी होते हैं जन्म दर्शन को देशभर से आने वाले हजारों श्रद्धालु।
प्रसिद्ध राधारमण मंदिर में राधारमण लाल जू की प्रतिमा का जन्म बुधवार को दिन में कराया जाएगा। प्राचीन राधारमण मंदिर की इस परंपरा के पीछे एक कहानी बताई जाती है। चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों में प्रमुख रहे गोपाल भट्ट गोस्वामी सालिग्राम की पूजा में रत रहते। गोपाल भट्ट की सेवा से प्रसन्न होकर एक रात ठाकुरजी ने उन्हें स्वप्न दिया और उनकी इच्छा जानी। गोपाल भट्ट ने भगवान से सालिग्राम रूप में साक्षात छवि देखने की इच्छा जताई। गोपाल भट्ट गोस्वामी के प्रेम के वशीभूत भगवान ने सालिग्राम की शिला को मूर्तरूप दे दिया। नृसिंह चौदस के दूसरे दिन अमावस को जब गोपाल भट्ट गोस्वामी नींद से जागे, तो उनके सामने सालिग्राम की शिला प्रतिमा के रूप में परिवर्तित दिखी। भगवान की इस भेंट से प्रफुल्लित गोपाल भट्ट गोस्वामी ने ठाकुरजी का नाम राधारमण लाल रख दिया।
चैतन्य महाप्रभु के शिष्य होने के नाते श्री मन्माध्वगौड़ेश्वर संप्रदाय के परिजनों पर राधारमण लाल जू की सेवा-सुश्रूषा की जिम्मेदारी तय हुई। लगभग 400 साल बीत जाने के बाद आज भी मंदिर में उस समय तय हुई सेवा-पूजा की विधि में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ब्रजमंडल में एक यही ऐसा मंदिर है, जहां भगवान का जन्मोत्सव दिन में मनाया जाता है। 12100 किलो दूध, दही व जड़ी-बूटियों से होगा महाभिषेक मंदिर सेवायत श्रीवत्स गोस्वामी, पद्नाभ गोस्वामी, पद्मलोचन गोस्वामी, अनुभूति कृष्ण गोस्वामी, पंकज गोस्वामी एवं सेवाधिकारी राधाकांत गोस्वामी, चंद्रकांत गोस्वामी हैं।
उन्होंने बताया कि प्राचीन परंपरा के अनुसार, इस वर्ष भी 28 अगस्त को श्री राधारमण देव का श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर 2100 किलो दूध, दही, घृत, शहद, शक्कर, पंचगव्य, सवरेषधि, गंधाष्टक, बीजाष्टक सहित 54 औषधियों द्वारा महाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भक्तों को पंचामृत प्रसाद वितरण भी किया जाएगा।
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